शनिवार, 3 जुलाई 2010

















बरखा की ऋतु  

बरखा की ऋतु आई है सजनिया
याद  तेरी संग लाई है सजनिया

जब जब तन पर पड़े पानी की बुंदिया
यूँ लगे जैसे तूने  हो  मुझे छु  लिया

ठंडी हवा जब जब है शोर मचाती
यूँ लगे तू आई है पायल छनकाती

नदिया जब जब है कल कल बहती
तेरी बातें हैं मुझे याद तब तब आती

दूर कहीं जब बोलती है कोयलिया
यूँ लगे जैसे तूने हो मेरा नाम लिया

यूँही ना चली जाए बरखा ओ सजनिया
अब तुम बिन ना रहा जाए ओ सजनिया

16 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

.मैं भी यही सोच रही थी की हर वक्त साजन ही क्यूँ? आज सजनिया को भी आपने केंद्र में रखकर एक और शानदार गीत रच दिया है. बहुत सुन्दर.
ठंडी हवा जब जब है शोर मचाती
यूँ लगे तू आई है पायल छनकाती

Satyawatee Manchanda ने कहा…

सजनिया की तुलना सावन और प्रकृति के भिन्न भिन्न रूपों के साथ बहुत अच्छी लगी. सुन्दर प्रयास.

Unknown ने कहा…

बहुत खूब. अब तो सावन पूरा जम गया है. साजन और सजनी सभी आ चुके हैं. शुभ-कामनाएं.

Sudhanshu Majumdaar ने कहा…

नरेशजी; बहुत सुन्दर रचना. सावन का महिना और साजन सजनी बिन अकेला. आपने साजन के मन की पीड़ा को अच्छी तरह से प्रस्तुत किया है.

PRANSHARMA ने कहा…

SUNDAR AUR SAHAJ BHAVABHIVYAKTI KE
LIYE AAPKO BADHAAEE.

Dheeraj Kant "Sushobhit" ने कहा…

वाह जनाब वाह. क्या गज़ब का लिखते हो आप. बहुत पहले आपकी एक रचना युहीं पढ़ ली थी. अच्छी लगी थी लेकिन उसके बाद आपके ब्लॉग पर आने का अवसर नहीं मिला. आज चिट्ठाजगत के माध्यम से फिर एक बार आपकी इस रचना को पढ़ते ही पुरानी वाली रचना " और तुम्हें क्या चाहिए" याद आ गई. बहुत अच्छा लिखते हो आप. धन्यवाद

Yadwinder Singh ने कहा…

प्राजी; फिर छा गए आप. बहुत ही सुन्दर. १५ अगस्त करीब आ रहा है. एक देश-भक्ति के ऊपर भी रचना अगर उसी दिन पढने को मिल जाए तो बड़ा अच्छा लगेगा. इस छोटे भाई की फ़रमाईश को मत ठुकराना.

Unknown ने कहा…

नरेशजी; बहुत ही खुबसूरत और सुन्दर रचना. धन्यवाद और बधाई. आखिर कार सजनी को आपने याद कर ही लिया.

Unknown ने कहा…

अतिसुन्दर गीत. अब तो कोई संगीतकार आगे आए! चलो सब से कहता हूँ कोई तो एक अच्छी सी धुन इसके लिए बनाए.

Unknown ने कहा…

अत्यंत मनमोहक गीत.

शिवम् मिश्रा ने कहा…

सुन्दर रचना |

36solutions ने कहा…

कोयलिया बरखा ऋतु, हिन्‍दी कविता में नवीन बिम्‍ब प्रयोग. धन्‍यवाद.

अजय कुमार ने कहा…

सावन ,सजनी ,साजन का अच्छा संगम

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया रचना.

विवेक रस्तोगी ने कहा…

सजनिया बहुत दिनों बाद किसी कविता में यह शब्द पढ़ा।

0 तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – १० [श्रीकालाहस्ती शिवजी के दर्शन..] (Hilarious Moment.. इंडिब्लॉगर पर मेरी इस पोस्ट को प्रमोट कीजिये, वोट दीजिये

संजय भास्‍कर ने कहा…

नरेशजी; बहुत ही खुबसूरत और सुन्दर रचना.