तेरी ज़ुल्फें
बन कर घटाएं कभी बरसती हैं
बन कर हवाएं कभी लहराती हैं
तेरी ज़ुल्फें
बन कर नागिन कभी डसती हैं
बन कर खुशबु कभी महकती है
तेरी ज़ुल्फें
बन कर नशा ये मदहोश कर देती हैं
बन कर साया ये आगोश में लेती हैं
तेरी ज़ुल्फें
बन कर तूफां ये दिल को हिला देती हैं
बन कर अदा ये ईमां डगमगा देती हैं
तेरी ज़ुल्फें
बिखर कर गालों पर कातिल बन जाती हैं
लहरा कर कांधों पर घायल कर देती हैं
तेरी ज़ुल्फें
सोमवार, 5 जुलाई 2010
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24 टिप्पणियां:
क्या जबरदस्त बानगी है. बहुत ही शानदार. भारत बंद; हम घर में बंद और उस पर आपकी यह रचना. छुट्टी का पूरा लुत्फ़ बस इसी रचना से उठा लिया.
आपकी कविता को पढूं या तस्वीर को देखूं. आखिर में आपकी रचना को पहले चुना. अगर यह रचना ना होती तो तस्वीर अधूरी लगती. बहुत सारी शुभ कामनाएं.
दो रास्ते का हिट गाना "ये रेशमी ज़ुल्फें .." याद आ गया. शुक्रिया इस हसीन और बहुत ही रोमांटिक गाने के लिए.
बन कर नागिन कभी डसती हैं
बन कर खुशबु कभी महकती है
तेरी ज़ुल्फें
जबरदस्त रचना
क्या ज़ुल्फें हैं और क्या ग़ज़ल है! आज तो जबरदस्त रंग जम गया नरेशजी.
नरेशजी; आपने तो जुल्फों में उलझा दिया. ऊपर से तस्वीर ने और भी उलझा दिया. क्या संगीन रचना है. बेहद रोमांटिक..
बस ढेर सारी शुभ-कामनाएं. आपकी सबसे खुबसूरत और रूमानी रचना.
जुल्फों के इतने सारे रूप. बधाई और धन्यवाद
सर ; क्या हो गया. क्या रोमांटिक लिखा है. ज़ुल्फें ही ज़ुल्फें. शानदार.
ये रेशमी ज़ुल्फें ... वाले गाने को भी आपने मीलों पीछे छोड़ दिया.
भाई ये जुल्फें बड़ी जालिम है
इसे आप ठीक-ठाक तरीके से संभाल ले यही शुभकामनाएं.
मजा आ गया रचना पढ़कर
श्रृंगार रस खूब झलकाया है आपने. ज़ुल्फें इतने रूप भी ले सकती है आपने बड़ी मेहनत से अध्ययन किया है. साधुवाद.
सर बहुत शानदार. सावन का महीना और जुल्फों की क़यामत. अब तो कोई नहीं बच सकता.
बिखर कर गालों पर कातिल बन जाती हैं
लहरा कर कांधों पर घायल कर देती हैं
तेरी ज़ुल्फें
अब इसके बाद कोई कैसे खुद को संभाले. बेहद रूमानी रचना
बड़ी ही असरदार. होश उड़ा देने वाली रचना.
बन कर नागिन कभी डसती हैं
बन कर खुशबु कभी महकती है
तेरी ज़ुल्फें
नशा आ गया इसे पढ़कर..अब कोई होश में कैसे आए अगर आप इस तरह की ग़ज़ल लिख्नेगे तो.
भाऊ; आता काही ही लिहण्याची गरज नाही. पाउस आणि असे केस. दिल से बहुत सारी बहुत सारी शुभ-कामनाएं.
मनमोहक और शानदार. अब कोई भी रोमांटिक होने से खुद को नहीं रोक सकता इसे पढने के बाद.
बन कर तूफां ये दिल को हिला देती हैं
बन कर अदा ये ईमां डगमगा देती हैं
ये पंक्तियाँ बहुत रोमांटिक है.
नमस्ते भैय्या. एक लम्बे अरसे के बाद हाजिर हुआ हूँ. लम्बी छुट्टी पर था. अब लौट आया हूँ. आते ही इस रचना को पढ़ा. आते ही घायल हो गया हूँ इस रचना को पढ़ते ही..
बिखर कर गालों पर कातिल बन जाती हैं
क्या लिखा है आपने
प्रेम रस में डुबो दिया ।
वाह वाह वाह्…………………ये ज़ुल्फ़ अगर खुल कर बिखर जाये तो अच्छा………गीत याद आ गया।
क्या बात है सर मज़ा आ गया !
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