गुरुवार, 16 जुलाई 2009


वो

अक्सर सबसे छुपकर

वो मेरी तस्वीर बनाता क्यों है

कागजों पर लिखकर मेरा नाम

वो ज़माने से छुपाता क्यों है


देखकर सूरत मेरी

वो हर बार मुस्कुराता क्यों है

मेरे वापस मुस्कुराने पर

वो ख़ुद फ़िर शर्माता क्यों है


जब अपना दिल मुझे दे दिया तो

वो ज़माने से घबराता क्यों है

जब मैंने खुदा से उसे मांग लिया तो

वो दुआओं में मुझे मांगता क्यों है


इश्क में नहीं मिला करते गुलाब तो

वो काँटों से घबराता क्यों है

रोज़ मुझसे मिलता है फ़िर तो

वो मेरे ख्वाबों में आता क्यों है


उसके दिल में है तस्वीर मेरी तो

वो उसे मुझसे छुपता क्यों है

प्यार जब उसने मुझसे किया है तो

वो ज़माने को बताता क्यों है


1 टिप्पणी:

V Singh ने कहा…

Mohabbat ka yeh zazba bahut hi laazawaab hai. kaash college k zamane mein aapki yeh kawita mujhe padhne k liye mili hoti to shayad main bhi is kawita to padhakar kishi ka dil jeet leta aur mohabbat kar leta.
Sachmuch mazaa aa gay Nareshji