रविवार, 19 जुलाई 2009

चल कहीं चल

चल कहीं चल जहाँ कुछ देर ताज़ा हवा चले

चल कहीं चल जहाँ ग़मों की आंधी ना चले

चल कहीं चल जहाँ खुशियों का उजाला हो

चल कहीं चल जहाँ हर किसी पर ऐतबार हो

चल कहीं चल जहाँ ज़ज्बातों की कदर हो

चल कहीं चल जहाँ बचपन खिलखिलाता हो

चल कहीं चल जहाँ लोरियां सुलाती हों

चल कहीं चल जहाँ जिंदगी की हर साँस ताज़ा हो

चल कहीं चल जहाँ इंसानों में दूरीयाँ ना हो

चल कहीं चल जहाँ रिश्तों में करीबियां हो

चल कहीं चल जहाँ जिंदगी का बसेरा हो

चल कहीं चल जहाँ मौत का सन्नाटा ना हो

चल कहीं चल जहाँ गलियां और चौबारा हो

चल कहीं चल जहाँ नदियाँ और पहाड़ हो

चल कहीं चल जहाँ खुशियाँ बुलाती हो

चल कहीं चल जहाँ उदासीयाँ मुंह छुपाती हो

चल कहीं चल जहाँ अपनों का बसेरा हो

चल कहीं चल जहाँ पुर सूकून लम्हे हो

चल कहीं चल जहाँ करब अंगेज़ उजाले हो

चल कहीं चल जहाँ मुस्कानें बुलाती हो

चल वहीँ चल नाशाद चल वहीँ चल

कोई टिप्पणी नहीं: