मंगलवार, 4 अगस्त 2009


अब और तुम्हें क्या चाहिए


रंग गया मैं तेरे रंग में अब और तुम्हें क्या चाहिए

बसा लिया तुम्हें पलकों में अब और तुम्हें क्या चाहिए


राँझा होकर भी हीर हो गया अब और तुम्हें क्या चाहिए

तेरी याद में फ़कीर हो गया अब और तुम्हें क्या चाहिए


तेरा प्यार मेरी तकदीर हो गया अब और तुम्हें क्या चाहिए

मेरा चेहरा तेरी तस्वीर हो गया अब और तुम्हें क्या चाहिए


मेरा दिल तुम्हारा घर हो गया अब और तुम्हें क्या चाहिए

तुम्हें पाकर मैं सब हार गया अब और तुम्हें क्या चाहिए

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