तुम ना थे
बहार थी; फूल थे, महक थी
तुम ना थे
गलीयाँ थी; मोड़ थे , इंतज़ार था
तुम ना थे
शाम थी ; यादें थी , तनहाइयाँ थी
तुम ना थे
महफ़िल थी ; किस्से थे , ज़िक्र था
तुम ना थे
जुदाई थी ; तड़प थी , दुआएं थीं
तुम ना थे
ख़याल थे ; नींद थी , ख्वाब थे
तुम ना थे
राहें थी ; राही थे , मंजिलें थी
तुम ना थे
दिल था ; आरज़ू थी , उम्मीद थी
तुम ना थे
शेर थे ; ग़ज़ल थी , नाशाद था
तुम ना थे
बस सिर्फ तुम ना थे
गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010
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2 टिप्पणियां:
sahi hai bhai
हर सांस ये कहती है कि वो न थे , छाये थे जो हर सू , मगर सामने वो न थे |
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