मंगलवार, 2 मार्च 2010

गाँव बहुत याद आएगा

आ तो बसे हैं शहर में
गाँव बहुत याद आएगा
जब भी ढलेगी शाम तो
गाँव बहुत याद आएगा

ना कोई साथ चलेगा
ना कोई अपना लगेगा
जब देंगे लोग धोखा तो
गाँव बहुत याद आयेगा

माना के शहर में
मेले हैं बहुत मगर; जब
खुद को पाओगे अकेला तो
गाँव बहुत याद आएगा

खुशीयों में रहेगा
हर कोई संग यहाँ मगर; जब
छाएंगे ग़मों के बादल तो
गाँव बहुत याद आयेगा

उगते सूरज को
पूजते हैं यहाँ मगर; जब
डूबेगा जब तुम्हारा सूरज तो
गाँव बहुत याद आयेगा

आ तो बसे हैं शहर में
गाँव बहुत याद आएगा


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