आराधना
पहाडों के आँचल में ;
नदियों की कलकल में
नदियों की कलकल में
पक्षियों की कलरव में ;
तारों की झिलमिल में
तारों की झिलमिल में
सपनों के गाँव में
शहरों की गलीयों में ;
यादों के बसेरों में
यादों के बसेरों में
फूलों की कलियों में ;
सावन के झूलों में
सावन के झूलों में
डायरी के भरे पन्नों में ;
धुंधली होती तस्वीरों में
धुंधली होती तस्वीरों में
याद आती मुलाकातों में ;
भूलती हुई यादों में
भूलती हुई यादों में
कभी जो किए थे वादों में ;
अटल हमारे इरादों में
अटल हमारे इरादों में
किसी को तलाश है तेरी
लौट आने की आस है तेरी
तुम बिन कोई आज भी अधूरा है
सूना किसी का बसेरा है
हर जगह तुझे कोई तलाशता है
हर दुआ में तुझे कोई मांगता है
हर रोज़ तेरी आराधना करता है
हर रोज़ तेरी तलाश करता है
लोग मुझे तेरी तलाश कहते हैं
लोग तुझे मेरी आराधना कहते हैं
17 टिप्पणियां:
नरेश भाईसा; ये कविता मुझे बहुत ही अच्छी लगी है. कोई किसी का इंतज़ार कितनी बेकसी से कर रहा है ये आपने बहुत अच्छी तरह से शब्दों में ढाला है.
मैं आज बहुत खुश हूँ. आपकी कविता में मेरा जो नाम आया है और वो भी शीर्षक की जगह. नहीं ये तो केवल एक मजाक है; लेकिन आपकी कविता बेहद पसंद आई है.
अति सुन्दर...
नाशाद साहब; क्या खूब लिखा है और क्या हसीं वादीयाँ लगने लगी है मुझे आज मेरे चारों ओर. मुझे ऐसा महसूस हो रहा है जैसे आप भी कहीं मेरे आसपास बैठे ये कविता लिख रहे हो और मैं आपको देख नहीं पा रहा हूँ लेकिन महसूस कर रहा हूँ.
अरे हुज़ूर; क्या लिख रहे हो आप ! इस तरह से कोई किसी को चाहता है क्या आज के जमाने में? लेकिन आपने सच्ची मौहब्बत दिखलाई है इस कविता में. नाशाद साहब; बेहतरीन नज़्म है ये. मेरी बहुत शुभ-कामनाएं.
आपकी हर रचना बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देती है. बहुत अच्छा लिखते हैं आप. खुदा के लिए जारी रखियेगा; रोकियेगा नहीं.
अगर कोई इस तरह से किसी को चाहे और आराधना करे तो उसे वो जरुर मिलता / मिलती है. आपकी कविता बहुत ही सुन्दर और असरदार बन पड़ी है हमेशा की तरह.
हर जगह तुझे कोई तलाशता है
हर दुआ में तुझे कोई मांगता है
हर रोज़ तेरी आराधना करता है
हर रोज़ तेरी तलाश करता है
लोग मुझे तेरी तलाश कहते हैं
लोग तुझे मेरी आराधना कहते हैं
इन लाइनों में जबरदस्त जान है. अत्यंत ही सुन्दर.
कभी जो किए थे वादों में ;
अटल हमारे इरादों में
किसी को तलाश है तेरी
लौट आने की आस है तेरी
तुम बिन कोई आज भी अधूरा है
सूना किसी का बसेरा
bahut hi sundar kavita...
आपकी इस कविता को मैंने पहले भी पढ़ा था जब आपने इसे पहले बार ब्लॉग पर पोस्ट किया था. आज भी जब पढ़ा तो बिलकुल नई लगी.इसका कारण है इसके शब्द. ये आपकी विशेषता बन गई है भैय्या. छोटे छोटे वाक्य जो बड़ी बड़ी बातें कह जाते हैं.
हर तरह से सुन्दर. कभी कभी इंतज़ार इतना लम्बा क्यूँ होता है? धुंधली होती तस्वीरों में - ये पंक्ति सबसे असरदार लगी.
बहुत सुन्दर और मन को मोहनेवाली रचना. आराधनाजी का खुश होना लाजमी है. आपकी कविता का शीर्षक ही उनके नाम से है.
कौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन
पुरूषों की कैटेगिरी में श्रेष्ठ ब्लागर का चयन हो चुका है। हालांकि अनूप शुक्ला पैनल यह मानने को तैयार ही नहीं था कि उनका सुपड़ा साफ हो चुका है लेकिन फिर भी देशभर के ब्लागरों ने एकमत से जिसे श्रेष्ठ ब्लागर घोषित किया है वह है- समीरलाल समीर। चुनाव अधिकारी थे ज्ञानदत्त पांडे। श्री पांडे पर काफी गंभीर आरोप लगे फलस्वरूप वे समीरलाल समीर को प्रमाण पत्र दिए बगैर अज्ञातवाश में चले गए हैं। अब श्रेष्ठ ब्लागरिन का चुनाव होना है। आपको पांच विकल्प दिए जा रहे हैं। कृपया अपनी पसन्द के हिसाब से इनका चयन करें। महिला वोटरों को सबसे पहले वोट डालने का अवसर मिलेगा। पुरूष वोटर भी अपने कीमती मत का उपयोग कर सकेंगे.
1-फिरदौस
2- रचना
3 वंदना
4. संगीता पुरी
5.अल्पना वर्मा
6 शैल मंजूषा
आपकी इस रचना को दोबारा पढ़ा लेकिन फिर भी बहुत अच्छी लगी. आराधनाजी बहुत खुश हुई हैं कि उनके नाम से आपकी कविता का शीर्षक है. बहुत बधाई भाईसाहब.
खूबसूरती को बहुत सुन्दर कैद किया है
नाशाद साहब; क्या खूब लिखा है
जनाब; आपकी शायरी में बहुत दम है क्योंक आप हजरत दिल से लिखते हैं. खुदा आपको और अच्छा लिखने पर मजबूर करे. हमारी यही ख्वाहिश रहेगी. नाशाद साहब;आपको मुबारकबाद. हमारा सलाम.कुबूलें.
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