बुधवार, 9 जून 2010

























सामने भी आया कर 

मेरे खयालों ही में ना रह तू
हकीकत में सामने भी आया कर

लबों पे नहीं आती दिल की हर बात
कभी मेरी ख़ामोशी भी समझा कर

मेरे महबूब ज़िन्दगी संवर जायेगी तेरी
युहीं आकर मुझसे हर रोज़ मिला कर

ना रख जिंदगी के सफहों को खाली
हर सफ़हे पर मेरा नाम लिखा कर

तेरी मुस्कान से बहारें है मेरे जीवन में
बस हर वक्त युहीं तू मुस्कुराया कर

10 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ना रख जिंदगी के सफहों को खाली
हर सफ़हे पर मेरा नाम लिखा कर

बहुत खूब...सुन्दर अभिव्यक्ति

माधव( Madhav) ने कहा…

सुन्दर रचना , बधाई

संजय भास्‍कर ने कहा…

हमेशा की तरह बहुत शानदार। क्या कहने।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत प्रभावशाली....अच्छी प्रस्तुति

Unknown ने कहा…

क्या बात लिखी है नरेशजी -
ना रख जिंदगी के सफहों को खाली
हर सफ़हे पर मेरा नाम लिखा कर
बहुत ही अच्छी लगी

Unknown ने कहा…

कितना अच्छा लिखा है.
लबों पे नहीं आती दिल की हर बात
कभी मेरी ख़ामोशी भी समझा कर

Unknown ने कहा…

महबूब को जोश दिलाने का ये अंदाज़ कुछ नया लगा भाईजान.

Unknown ने कहा…

ये ग़ज़ल तो नरेशजी; हमारे फौजी स्टाइल की लगती है. मैं इसे मेरी नजर से देख रहा हूँ. आप बुरा मत मानना. हर बात में महबूब को आर्डर दिया जा रहा है. बधाई. हकीकत में ये ग़ज़ल बहुत ही दमदार है. वाकई दमदार है.

Unknown ने कहा…

मेरे महबूब ज़िन्दगी संवर जायेगी तेरी
युहीं आकर मुझसे हर रोज़ मिला कर
-> दिल ले गई ये पंक्तियाँ नरेशजी. सच में दिल ले गई. अब आप ही ढूँढने में मदद करो.

Unknown ने कहा…

क्या खूब अंदाज़ है नाशाद साहब. बहुत ही वज़नदार. वास्तव में एक हट कर लिखी गई ग़ज़ल