फासले जिंदगी से फासले भी कितने अजीब होते हैं जिन्हें हबीब समझते हैं वो ही रकीब होते हैं चाहे कोई कितना ही सोचे चाहे कितना समझाये चेहरे वही खिलते हैं जिनके अच्छे नसीब होते हैं कभी खुद से ही दूर रहकर हम अक्सर खुश रहते हैं खुद से खुद के फासले भी कितने अजीब होते हैं कभी जो याद आती है किसी की लम्बी काली रातों में लगता है जो बिछुड़े हैं हमसे क्या वो ही हबीब होते हैं सफ़र लगता है लंबा जिंदगी का कुछ भी नज़र नहीं आता नाशाद कभी कभी ये जिंदगी के रास्ते बदनसीब भी होते हैं |
गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010
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2 टिप्पणियां:
सफ़र लगता है लंबा जिंदगी का कुछ भी नज़र नहीं आता
नाशाद कभी कभी ये जिंदगी के रास्ते बदनसीब भी होते हैं
पसंद आया यह अंदाज़ ए बयान आपका. बहुत गहरी सोंच है
बहुत लाजवाब और उम्दा लिखा है......गहरी बात आसानी से कह दी आपने
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