बुधवार, 8 दिसंबर 2010


धुंधली यादें 

यादें भी धुंधली हो जाती है
जब वक्त की धूल जम जाती है
किसी की याद का झोंका जब आता है
तस्वीरों से धूल उड़ जाती है

याद आते हैं कुछ चेहरे
जो कभी हमारे सामने थे
जो कभी हमारे साथ थे
एक एक लम्हा याद आता है
हर एक लम्हा रुला जाता है

वक्त क्यूँ बीत जाता है
आखिर कोई क्यूँ दूर हो जाता है
आखिर कोई क्यूँ दूर हो जाता है 


3 टिप्‍पणियां:

arvind ने कहा…

यादें भी धुंधली हो जाती है
जब वक्त की धूल जम जाती है
किसी की याद का झोंका जब आता है
तस्वीरों से धूल उड़ जाती है
...bahoot khoob.

manjul ने कहा…

यादें भी धुंधली हो जाती है
जब वक्त की धूल जम जाती है
किसी की याद का झोंका जब आता है
तस्वीरों से धूल उड़ जाती
bahut aachi lines h.....

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह !कितनी अच्छी रचना लिखी है आपने..! बहुत ही पसंद आई