छोटे छोटे लम्हात --
"अजब जहां है ये , सब कुछ मिलता है मगर प्यार नहीं मिलता
"अजब जहां है ये , सब कुछ मिलता है मगर प्यार नहीं मिलता
सारा शहर भरा है ऊंची ऊंची इमारतों से
मगर इनमे कोई मुस्कुराता चेहरा नहीं मिलता
लोग तो बहुत दिखते हैं यहाँ वहां मगर
कोई सच्चा दोस्त नहीं मिलता
चलो नाशाद गाँव ही चलकर रहा जाय
अब तो शहर में हमारा मन नहीं लगता "
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जिंदगी को जिंदगी कहना आसां ना था
पीकर ज़हर भी कहना पडा आब-ए-हयात
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सजा लो ग़ज़लों की महफ़िल
दोस्ती की शमा जला लो
प्यार से पढ़ दो कोई भी ग़ज़ल
नाशाद खुद-ब-खुद आ जायेंगे
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"जिंदगी का सफ़र कभी इतना सख्त ना था
तेरे दर का रास्ता कभी इतना लंबा ना था
सूरज की रौशनी भी अन्धेरा लगने लगी है
नाशाद अब तो मंजिल ही ओझल होने लगी है "
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हर दरीचे में तुझे ही तलाशते हैं
हर चेहरे में तुझे ही देखते हैं
लोग कहते हैं दीवाना हमको
नाशाद हम तो जिंदगी को ढूंढते हैं
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कोई ये बता दे उनके चेहरे पर नकाब का मतलब
कोई ये बता दे उनके चेहरे पर नकाब का मतलब
क्या हमसे खुद को छुपाये जा रहे हैं
या फिर हमपे नज़र रखी जा रही है
नाशाद यही उलझन दिन-रात खाए जा रही है
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ज़माने की हवा खराब है
नाशाद खुद को बचा कर रखिये
लोगों की नज़रें खराब है
रुख पर अपने नकाब रखिये
राह-ए-मंजिल में अन्धेरा है बहुत
यादों के चराग जलाए रखिये
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मेरा सबसे पहला लिखा शेर आपको बताना चाहता हूँ--
कौन कहता है आजकल कि अकेले हैं हम
मेरे साथ हैं मेरी तनहाईयाँ और मेरे गम
( लिखने का समय - अगस्त १९८१ )
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किस से उम्मीद करें यहाँ , हर कोई उम्मीद में बैठा है
किस का इंतज़ार करें यहाँ ,हर कोई इंतज़ार में बैठा है
किस को कहें अपना यहाँ , हर कोई जब खुद को ढूंढ रहा है
किस से पूछें अब राह-ए-मंजिल, हर कोई मंजिल भूल चुका है
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वो कोई और है जो मुझमे बसा है
वो कोई और है जो मुझमे बसा है
मैं कोई और हूँ जो सामने आया हूँ
वक्त ने मुझे सताया है
चाहत ने मुझे बहकाया है
कुछ और पाने की चाह में मैं बदल गया हूँ
कुछ अच्छा सा नाम था मेरा
जो अब बदल गया है
अपना नाम तक भूल गया हूँ
बस नाशाद नाम याद आया है
वो कोई और है जो मुझमे बसा है
मैं कोई और हूँ जो सामने आया हूँ
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दिल है बहुत ही छोटा-सा मगर ज़माने ने दिए हैं गम बहुत
कोई ना समझ सका हमें, हमने तो सभी को समझा बहुत
दिल में है फिक्र और मौहब्बत और सभी को चाहते है बहुत
6 टिप्पणियां:
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (13/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
ज़माने की हवा खराब है
नाशाद खुद को बचा कर रखिये
लोगों की नज़रें खराब है
रुख पर अपने नकाब रखिये
राह-ए-मंजिल में अन्धेरा है बहुत
यादों के चराग जलाए रखिये
Bahut khoob.....
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - सांसद हमले की ९ वी बरसी पर संसद हमले के अमर शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
बहुत बहुत धन्यवाद वंदनाजी.
sundar lekhan!
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !....नरेश जी.
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