जिंदगी जैसे थम गई है
आज अचानक लगता है मुझे जैसे
किसी मोड़ पर आकर यादें ठहर गई
इसी मोड़ पर मैंने कुछ खोया था
दिल अन्दर ही अन्दर बहुत रोया था
कोई जो चलता रहा सदीयों तक साथ हमारे
इसी मोड़ से हमसे दूर हो गया था
जिसकी करीबी का अहसास मुझे हर पल था
जिसका साया हर कड़ी धूप में मेरे सर था
मेरी सांसें उसी के दम पर चलती थी
मेरी जिंदगी उसी के इर्द-गिर्द रहती थी
वो अहसास वो साथ बहुत दूर हो गया है
दिल उसकी याद में बहुत रोया
मगर आँखों से कोई कतरा बाहर नहीं आया
आंसू जैसे जम चुके थे
साँसें जैसे कहीं थम चुकी थी
आज ऐसा लगता है नाशाद
जिंदगी थम सी गई है
राह तो है मगर मंजिल कहीं गुम गई है
जिस्म है मौजूद इस जहां में
मगर रूह मेरी कहीं दूर हो गई है
ऐ मेरे खुदा मेरे जन्मदाता
आपके बिना दिन छोटे और रातें लम्बी हो गई है
मैं जिंदा हूँ मगर जिंदगी कहीं खो गई है
नाशाद मेरी जिंदगी कहीं खो गई है
( हमारे पापा की दूसरी पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि )
2 टिप्पणियां:
ख़ूबसूरत रचना , सुन्दर प्रस्तुति , बधाई
सुन्दर प्रस्तुति
बाबु जी को विनम्र श्रद्धांजलि
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