वो मेरा हो जाएगा
देखना एक दिन वो भी मेरा हो जाएगा
मेरे घर का पता उसका पता हो जाएगा
आज चुरा रहा है नज़र पर देखना एक दिन
वो मुझे देखकर शरमायेगा मुस्कुराएगा
आज कर रहा है वो मुझसे नफ़रत पर देखना
मेरी याद में तड़पता फिर वो भी नजर आयेगा
इस कदर छा जाएगा मेरा भी जादू उस पर
जागती आँखों से मेरे सपने देखने लग जाएगा
चल रहा है आज वो अकेला अपने ही रास्ते पर
एक दिन शामिल वो मेरे कारवां में हो जाएगा
उसको बसा लूँगा "नाशाद" दिल में इस कदर
देखना वो हो जाएगा मैं और मैं वो हो जाऊंगा
रविवार, 11 अप्रैल 2010
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7 टिप्पणियां:
उसको बसा लूँगा "नाशाद" दिल में इस कदर
देखना वो हो जाएगा मैं और मैं वो हो जाऊंगा
बहुत अच्छी प्रस्तुति
bahut khub
http://kavyawani.blogspot.com/
shekhar kumawat
'वो हो जाएगा मैं और मैं वो हो जाऊंगा' बहुत बढ़िया, बहुत रोमांटिक भाव भी....
उसको बसा लूँगा "नाशाद" दिल में इस कदर
देखना वो हो जाएगा मैं और मैं वो हो जाऊंगा
क्या बात लिखी है !! गहरा असर कर गया दिल पर. ग़ज़ल डर ग़ज़ल गज़ब का निखार है नाशाद साहब. दिल की धड़कनें अजीब तरह से बढ़ गई इस शेर से तो.
इस कदर छा जाएगा मेरा भी जादू उस पर
जागती आँखों से मेरे सपने देखने लग जाएगा
ये भी बहुत असरदार है. क्या गज़ब के माशूक हो आप. जागती आँखों से महबूबा को सपने दिखने का माद्दा रखते हो.
बड़ी अच्छी ग़ज़ल लगी. बार बार पढी फिर भी दिल नहीं भरा.
ऊंचे दर्जे की ग़ज़ल है. माहौल बनकर पढना पढ़ा. भाईसाहब समझ जाइए कि कितना गहरा असर हुआ है.
उसको बसा लूँगा "नाशाद" दिल में इस कदर
देखना वो हो जाएगा मैं और मैं वो हो जाऊंगा
आपकी यह ग़ज़ल तो बहुत ही अच्छी लगी मैंनूँ . कमाल का शेर है ये तो. वो हो जाएगा मैं और मैं वो हो जाऊंगा. इसे कहते हैं हीर रांझे जैसी मौहब्बत. बहुत जज्बात है आपकी भाषा में .
आपने इस ग़ज़ल में तो कमाल कर दिया नरेश जी. इतनी जबरदस्त ग़ज़ल लिखी है कि मैं क्या कहूं ! क़यामत की हद तक मौहब्बत करनेवाले ही ऎसी भाषा लिख सकते हैं.
उसको बसा लूँगा "नाशाद" दिल में इस कदर
देखना वो हो जाएगा मैं और मैं वो हो जाऊंगा
इसे तो बार बार पढने को जी करता है. दीवानगी की हद तक बधाई.
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