याद आऊँगा मैं
जितना तुम भुलाना चाहो
उतना ही याद आऊँगा मैं
सोने ना दूंगा चैन से कभी
तेरे हर ख्वाब में आऊँगा मैं
जब भी बहारें आयेंगी
हर फूल में नज़र आऊँगा मैं
सावन की भीगी फुहारों में
एक मीठी अगन लगाऊंगा मैं
चाहे जितनी राहें बदल लो
हर मोड़ पर नज़र आऊँगा मैं
चाहे अपना लो किसी गैर को
हर चेहरे में नज़र आऊँगा मैं
जब भी देखोगे तस्वीर मेरी
तुम्हारी साँसें मह्काऊँगा मैं
जब रातों में लेटोगे छत पर
चाँद में भी नज़र आऊँगा मैं
मौहब्बत की है मैंने तुमसे
तुम्हें ही अपनाऊँगा मैं
नहीं आसान "नाशाद" को भुलाना
हर सांस में याद आऊँगा मैं
शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010
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15 टिप्पणियां:
AAPKE MAHFIL MEIN EK AUR ACHCHHEE
RACHNA.BADHAAEE
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
मौहब्बत की है मैंने तुमसे
तुम्हें ही अपनाऊँगा मैं
नहीं आसान "नाशाद" को भुलाना
हर सांस में याद आऊँगा मैं
Hi; Naresh!!! First of all all the best wishes from bottom of my heart. Its wonderfullll.
आपने बहुत बहुत चंगा लिखा है. हम लोग पंजाब को ; इंडिया को बहुत मिस करते हैं.आपके ब्लॉग के फोटोस देखकर तो आँखें भर आईं. हमने लन्दन बैठे बैठे इंडिया देख लिया. थंक यू जी वैरी मच
जब भी देखोगे तस्वीर मेरी
तुम्हारी साँसें मह्काऊँगा मैं
जब रातों में लेटोगे छत पर
चाँद में भी नज़र आऊँगा मैं
बड़ा ही सुन्दर अलंकार है इन पंक्तियों में. आपकी एक और श्रेष्ठ रचना. बस भैया ऐसे ही लिखते रहीये. हमारी शुभ-कामनाएं हमेशा साथ है.
मौहब्बत की है मैंने तुमसे
तुम्हें ही अपनाऊँगा मैं
नहीं आसान "नाशाद" को भुलाना
हर सांस में याद आऊँगा मैं
आप किसी को दिल दें और वो आपको भुला दे. ऐसा तो नरेशजी हो ही नहीं सकता . आप इतना अच्छा लिखते हो. आपकी गज़ले और कवितायें पढ़ पढ़कर ही आपको अच्छी तरह से समझ सकता है. बहुत ही बहुत ही अच्छी लगी जी. हर मोड़ पर नज़र आने का आपका अंदाज़ दिल को छु गया.
Hi; so you are back with a another superb creation. Excellent Sir.
चाहे जितनी राहें बदल लो
हर मोड़ पर नज़र आऊँगा मैं
these are best lines.
आदरणीय बोहरा जी, आपकी तीन रचनाएं पढ़ीं.
’याद आऊंगा मैं’ से
जब भी बहारें आयेंगी
हर फूल में नज़र आऊँगा मैं
सावन की भीगी फुहारों में
एक मीठी अगन लगाऊंगा मैं
ये पंक्तियां सबसे सुन्दर रहीं.
बधाई स्वीकार करें
सच्ची मौहब्बत करनेवाले ऐसे ही याद आया करते हैं. यादों में आकर तड़पाते हैं.
चाहे अपना लो किसी गैर को
हर चेहरे में नज़र आऊँगा मैं
आपने इतना अच्छा लिखा है कि कुछ भी लिखूं तो शायद वो नाकाफी होगा. बस मेरी शुभकामनाएं स्वीकारें और इसी तरह लिखते रहें.
जब भी देखोगे तस्वीर मेरी
तुम्हारी साँसें मह्काऊँगा मैं
जब रातों में लेटोगे छत पर
चाँद में भी नज़र आऊँगा मैं
यह पूरी ग़ज़ल इतनी ज़बरदस्त है कि इसकी तारीफ करने के लिए सही अल्फाज तलाशने होंगे. बहुत बहुत शुक्रिया
चाहे जितनी राहें बदल लो
हर मोड़ पर नज़र आऊँगा मैं
आपकी रचनाओं में मौहब्बत की तमाम तरह की गहराइयां पढने की मिलती है.एक एक शब्द में मौहब्बत झलकती है. बहुत ही खूब.
इसे कहते हैं सच्चा प्यार. सच्चा प्यार बहुत मुश्किल से और किस्मतवालों को ही मिलता है. आपकी ये ग़ज़ल भी बहुत खूबसूरत है.
बेहद उम्दा भाईजान. आप ने बहुत अच्छा लिखा है
ऐसी गज़लें लिखेंगे तो आप हमेशा याद रहोगे. रोजाना हम इंतज़ार करेंगे आपकी नई ग़ज़लों का / कविताओं का. लाज़वाब.
अंदाज़ दिल को छु गया.
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